चौपाई: बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥प्रसंग: यह प्रसंग भी बालकाण्ड के आरम्भ का है। इसमें बुरे लोगो का साथ छोड़ने को कहा गया है । अर्थ:- इसका अर्थ यह है कि दुर्जनों क... Read more
चौपाई: उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू॥प्रसंग: यह प्रसंग बालकाण्ड के आरम्भ का है जिसमें सज्जनों की संगति करने की सीख दी गयी है। अर्थ:- यह कार्य त्याग ही दें क्योंकि इस कार्य... Read more
चौपाई: प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥ प्रसंग: यह प्रसंग सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय का है। अर्थ:- इसका अर्थ यह है कि भगवान का नाम लेते हुये कार्... Read more
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चौपाई: सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मन कामना तुम्हारी॥ प्रसंग: यह चौपाई बालकाण्ड से ली गयी है इसमें सीता जी को गौरी जी आशिर्वाद दे रही है की उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाये। अर्थ:- आपका प्रश्... Read more
चौपाई: सुफल मनोरथ हो हुँ तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥ प्रसंग: यह प्रसंग बालकाण्ड से लिया गया है । इसमें महर्षि विश्वामित्र वाटिका से फूल लाने भगवान राम और भगवान लक्ष्मण को आशिर्वाद दे... Read more
चौपाई: बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुखधरि काहु न धीरा॥ प्रसंग: यह प्रसंग लंका कांड से लिया गया है ।इसमें रावण वध पर उनकी पत्नी मंदोदरी विलाप कर रही है। अर्थ:- कार्य पूरा होने मे संदेह हैअत... Read more
चौपाई: गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥ प्रसंग: यह प्रसंग सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश के समय का है। अर्थ:- इसका अर्थ है की ईश्वर का स्मरण करते हुए अविलम्ब कार... Read more
चौपाई: मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥ प्रसंग: यह प्रसंग बालकाण्ड से है जिसमें संतो के सत्संग का महत्व बताया गया है। अर्थ:- इसका अर्थ यह है कि कार्य उत्तम है उसे प्रभु का नाम लेक... Read more
चौपाई: होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करितर्क बढ़ावै साखा॥ प्रसंग: यह प्रसंग बालकाण्ड में भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद का है। अर्थ:- आप जैसा सोचते है वैसा ही नहीं होता है, चूँकि इस कार्य... Read more
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